शनिवार, 31 दिसंबर 2011

।। प्रार्थना ।।


।। प्रार्थना ।।
ऋजुनीती नो वरुणो मित्रो नयतु विद्वान ।
अर्यमा देवैः सजोषाः।।
                 ऋग्वेद - १।६।१७।१।।
(हे परमेश्वर‌ ! आप हमें सरल (शुद्ध‌) कोमलत्वादि-गुणविशिष्ट चक्रवर्ती राजाओं की नीति प्रदान करने की कृपा करें, आप सर्वोत्कृष्ट‌ होने से वरुण हैं, अतः हमें वर राज्य, वर विद्या वर नीति दें तथा सबके मित्र, शत्रुता-रहित हों। हमें भी आप मित्र गुणों से युक्त तथा न्याय प्रिय बनायें। आप सर्वोत्कृष्ट विद्वान हैं हमें भी सत्य विद्या से युक्त सुनीति प्रदान करके साम्राज्याधिकारी बनायें । आप "अर्यमा" (यमराज‌) प्रियाप्रिय को छोड़ कर न्यायवान हैं सब संसार के जीवों के पाप और पुण्यों की यथा योग्य व्यवस्था करने वाले हैं अतः हमें भी आप तदनुकूल बनायें जिससे हम आपकी कृपा से विद्वानों वा दिव्यगुणों के साथ उत्तम प्रीति-युक्त आप में रमण और आपका सेवन करने वाले हों। हे कृपा सिन्धु भगवन् ! हमारी सहायता करें जिससे हम सुनीति युक्त हों और हमारा स्वराज्य निरंतर बृद्धि को प्राप्त हो ।। )

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